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श॒तं राज्ञो॒ नाध॑मानस्य नि॒ष्काञ्छ॒तमश्वा॒न्प्रय॑तान्त्स॒द्य आद॑म्। श॒तं क॒क्षीवाँ॒ असु॑रस्य॒ गोनां॑ दि॒वि श्रवो॒ऽजर॒मा त॑तान ॥

English Transliteration

śataṁ rājño nādhamānasya niṣkāñ chatam aśvān prayatān sadya ādam | śataṁ kakṣīvām̐ asurasya gonāṁ divi śravo jaram ā tatāna ||

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Pad Path

श॒तम्। राज्ञः॑। नाध॑मानस्य। नि॒ष्कान्। श॒तम्। अश्वा॑न्। प्रऽय॑तान्। स॒द्यः। आद॑म्। श॒तम्। क॒क्षीवा॑न्। असु॑रस्य। गोना॑म्। दि॒वि। श्रवः॑। अ॒जर॑म्। आ। त॒ता॒न॒ ॥ १.१२६.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:126» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:1» Varga:11» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:18» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

कौन इस संसार में यश का विस्तार करते हैं, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ।

Word-Meaning: - जो (कक्षीवान्) विद्या के बहुत व्यवहारों को जानता हुआ विद्वान् (असुरस्य) मेघ के समान उत्तम गुणी (नाधमानस्य) ऐश्वर्यवान् (राज्ञः) राजा के (शतम्) सौ (निष्कान्) निष्क सुवर्णों (प्रयतान्) अच्छे सिखाये हुए (शतम्) सौ (अश्वान्) घोड़ों और (दिवि) आकाश में (अजरम्) अविनाशी (गोनाम्, शतम्) सूर्यमण्डल की सैकड़ों किरणों के समान (श्रवः) श्रूयमाण यश को (आ, ततान) विस्तारता है, उसको मैं (सद्यः) शीघ्र (आदम्) स्वीकार करता हूँ ॥ २ ॥
Connotation: - जो न्यायकारी विद्वान् राजा के समीप से सत्कार को प्राप्त होते हैं, वे यश का विस्तार करते हैं ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

केऽत्र यशो विस्तारयन्तीत्याह ।

Anvay:

यः कक्षीवान् विद्वानसुरस्येव नाधमानस्य राज्ञः शतं निष्कान् प्रयतान् शतमश्वान् दिव्यजरं गोनां शतमिव श्रव आततान तमहं सद्य आदम् ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (शतम्) (राज्ञः) (नाधमानस्य) प्राप्तैश्वर्यस्य (निष्कान्) सौवर्णान् (शतम्) (अश्वान्) तुरङ्गान् (प्रयतान्) सुशिक्षितान् (सद्यः) (आदम्) आददामि (शतम्) (कक्षीवान्) बह्व्यः कक्षयः विद्याप्रदेशा विदिताः सन्ति यस्य सः (असुरस्य) मेघस्य (गोनाम्) किरणानाम् (दिवि) आकाशे (श्रवः) श्रूयमाणं यशः (अजरम्) वयोनाशहीनम् (आ) (ततान) विस्तृणाति ॥ २ ॥
Connotation: - ये न्यायकारिणो विदुषो राज्ञः सकाशात् सत्कारं प्राप्नुवन्ति ते यशो वितन्वते ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्यांचा न्यायी विद्वान राजाकडून सत्कार होतो त्यांचे यश सर्वत्र पसरते. ॥ २ ॥