Go To Mantra

ए॒वेदे॒षा पु॑रु॒तमा॑ दृ॒शे कं नाजा॑मिं॒ न परि॑ वृणक्ति जा॒मिम्। अ॒रे॒पसा॑ त॒न्वा॒३॒॑ शाश॑दाना॒ नार्भा॒दीष॑ते॒ न म॒हो वि॑भा॒ती ॥

English Transliteration

eved eṣā purutamā dṛśe kaṁ nājāmiṁ na pari vṛṇakti jāmim | arepasā tanvā śāśadānā nārbhād īṣate na maho vibhātī ||

Mantra Audio
Pad Path

ए॒व। इत्। ए॒षा। पु॒रु॒ऽतमा॑। दृ॒शे। कम्। न। अजा॑मिम्। न। परि॑। वृ॒ण॒क्ति॒। जा॒मिम्। अ॒रे॒पसा॑। त॒न्वा॑। शाश॑दाना। न। अर्भा॑त्। ईष॑ते। न। म॒हः। वि॒ऽभा॒ती ॥ १.१२४.६

Rigveda » Mandal:1» Sukta:124» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:1» Varga:8» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:18» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - जैसे (अरेपसा) न कँपते हुए निर्भय (तन्वा) शरीर से (शाशदाना) अति सुन्दरी (पुरुतमा) बहुत पदार्थों को चाहनेवाली स्त्री (दृशे) देखने के लिये (कम्) सुख को पति के (न) समान (परि, वृणक्ति) सब ओर से (न) नहीं छोड़ती पति भी (जामिम्) अपनी स्त्री के (न) समान सुख को (न) नहीं छोड़ता और (अजामिम्) जो अपनी स्त्री नहीं उसको सब प्रकार से छोड़ता है, वैसे (एव) ही (एषा) यह प्रातःसमय की वेला (अर्भात्) थोड़े से (इत्) भी (महः) बहुत सूर्य के तेज का (विभाती) प्रकाश कराती हुई बड़े फैलते हुए सूर्य के प्रकाश को नहीं छोड़ती किन्तु समस्त को (ईषते) प्राप्त होती है ॥ ६ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे पतिव्रता स्त्री अपने पति को छोड़ और के पति का सङ्ग नहीं करती वा जैसे स्त्रीव्रत पुरुष अपनी स्त्री से भिन्न दूसरी स्त्री का सम्बन्ध नहीं करता और विवाह किये हुए स्त्रीपुरुष नियम और समय के अनुकूल सङ्ग करते हैं, वैसे ही प्रातःसमय की वेला नियमयुक्त देश और समय को छोड़ अन्यत्र युक्त नहीं होती ॥ ६ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

यथारेपसा तन्वा शाशदाना पुरुतमा स्त्री देशे कं सुखं पतिं न न परिवृणक्ति पतिश्च जामिं न सुखं न परित्यजति। अजामिं च परित्यजति तथैवैषोषा अभ्रादिन्महो विभाती सती स्थूलं न परिजहाति किन्तु सर्वमीषते ॥ ६ ॥

Word-Meaning: - (एव) (इत्) अपि (एषा) (पुरुतमा) या बहून् पदार्थान् ताम्यति काङ्क्षति सा (दृशे) द्रष्टुम् (कम्) सुखम् (न) इव (अजामिम्) अभार्य्याम् (न) इव (परि) (वृणक्ति) त्यजति (जामिम्) भार्याम् (अरेपसा) अकम्पितेन (तन्वा) शरीरेण (शाशदाना) अतीव सुन्दरी (न) निषेधे (अर्भात्) अल्पात् (ईषते) गच्छति (न) निषेधे (महः) महत् (विभाती) प्रकाशयन्ती ॥ ६ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा पतिव्रता स्त्री स्वं पतिं विहायान्यं न सङ्गच्छते यथा च स्त्रीव्रतः पुमान् स्वस्त्रीभिन्नां स्त्रियं न समवैति, विवाहितौ स्त्रीपुरुषौ यथानियमं यथासमयं सङ्गच्छेते तथैवोषा नियतं देशं समयं च विहायान्यत्र युक्ता न भवति ॥ ६ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जशी पतिव्रता स्त्री आपल्या पतीला सोडून इतरांच्या पतीचा संग करीत नाही व जसा स्त्रीव्रती पुरुष आपल्या स्त्रीला सोडून दुसऱ्या स्त्रीशी संबंध ठेवत नाही व विवाहित स्त्री-पुरुष नियमाने व योग्यवेळी संग करतात तशीच प्रातःकाळची वेळ नियमयुक्त स्थान व वेळ सोडून इतरत्र युक्त होत नाही. ॥ ६ ॥