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वि॒द्वांसा॒विद्दुर॑: पृच्छे॒दवि॑द्वानि॒त्थाप॑रो अचे॒ताः। नू चि॒न्नु मर्ते॒ अक्रौ॑ ॥

English Transliteration

vidvāṁsāv id duraḥ pṛcched avidvān itthāparo acetāḥ | nū cin nu marte akrau ||

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Pad Path

वि॒द्वांसौ॑। इत्। दुरः॑। पृ॒च्छे॒त्। अवि॑द्वान्। इ॒त्था। अप॑रः। अ॒चे॒ताः। नु। चि॒त्। नु। मर्ते॑। अक्रौ॑ ॥ १.१२०.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:120» Mantra:2 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:22» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:17» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - जैसे (अचेताः) अज्ञान (अविद्वान्) मूर्ख (विद्वांसौ) दो विद्यावान् पण्डितजनों को (दुरः) शत्रुओं के मारने वा मन को अत्यन्त क्लेश देनेहारी बातों को (पृच्छेत्) पूछे (इत्था) ऐसे (अपरः) और विद्वान् महात्मा अपने ढङ्ग से (इत्) ही (नु) शीघ्र पूछे (अक्रौ) नहीं करनेवाले (मर्त्ते) मनुष्य के निमित्त (चित्) भी (नु) शीघ्र पूछे जिससे यह आलस्य को छोड़ के पुरुषार्थ में प्रवृत्त हो ॥ २ ॥
Connotation: - जैसे विद्वान् विद्वानों की सम्मति से वर्त्ताव वर्त्ते वैसे और भी वर्त्तें। सदैव विद्वानों को पूछकर सत्य और असत्य का निर्णय कर आचरण करें और झूठ को त्याग करें। इस बात में किसी को कभी आलस्य न करना चाहिये क्योंकि विना पूछे कोई नहीं जानता है, इससे किसी को मूर्खों के उपदेश पर विश्वास न लाना चाहिये ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

यथाऽचेता अविद्वान् विद्वांसौ दुरः पृच्छेदित्थाऽपरो विद्वानिदेव नु पृच्छेत्। अक्रौ मर्त्ते चिदपि नु पृच्छेद्यतोऽयमालस्यं त्यक्त्वा पुरुषार्थे प्रवर्त्तेत ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (विद्वांसौ) सकलविद्यायुक्तौ (इत्) एव (दुरः) शत्रून् हिंसितुं हृदयहिंसकान् प्रश्नान् वा (पृच्छेत्) (अविद्वान्) विद्याहीनो भृत्योऽन्यो वा (इत्था) इत्थम् (अपरः) अन्यः (अचेताः) ज्ञानरहितः (नु) सद्यः (चित्) अपि (नु) शीघ्रम् (मर्त्ते) मनुष्ये (अक्रौ) अकर्त्तरि। अत्र नञ्युपपदात् कृधातोः इक्कृषादिभ्य इति बहुलवचनात् कर्त्तरीक् ॥ २ ॥
Connotation: - यथा विद्वांसो विदुषां संमत्या वर्त्तेरँस्तथाऽन्येऽपि वर्त्तन्ताम्। सदैव विदुषः प्रति पृष्ट्वा सत्यासत्यनिर्णयं कृत्वा सत्यमाचरेयुरसत्यं च परित्यजेयुः। नात्र केनचित्कदाचिदालस्यं कर्त्तव्यम्। कुतो नापृष्ट्वा विजानातीत्यतः। नैव केनचिदविदुषामुपदेशे विश्वसितव्यम् ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसे विद्वानांनी विद्वानांच्या संमतीने वागावे तसेच इतरांनीही वागावे. सदैव विद्वानांना विचारून सत्य व असत्याचा निर्णय घ्यावा व त्यानुसार आचरण करावे. खोट्या गोष्टींचा त्याग करावा. या बाबतीत कुणीही आळस करता कामा नये. कारण विचारल्याशिवाय कोणीही काही जाणत नाही. त्यासाठी कुणीही मूर्खांच्या उपदेशावर विश्वास ठेवू नये. ॥ २ ॥