Go To Mantra

सदा॑ कवी सुम॒तिमा च॑के वां॒ विश्वा॒ धियो॑ अश्विना॒ प्राव॑तं मे। अ॒स्मे र॒यिं ना॑सत्या बृ॒हन्त॑मपत्य॒साचं॒ श्रुत्यं॑ रराथाम् ॥

English Transliteration

sadā kavī sumatim ā cake vāṁ viśvā dhiyo aśvinā prāvatam me | asme rayiṁ nāsatyā bṛhantam apatyasācaṁ śrutyaṁ rarāthām ||

Mantra Audio
Pad Path

सदा॑। क॒वी॒ इति॑। सु॒ऽम॒तिम्। आ। च॒के॒। वा॒म्। विश्वाः॑। धियः॑। अ॒श्वि॒ना॒। प्र। अ॒व॒त॒म्। मे॒। अ॒स्मे इति॑। र॒यिम्। ना॒स॒त्या॒ बृ॒हन्त॑म्। अ॒प॒त्य॒ऽसाच॑म्। श्रुत्य॑म्। र॒रा॒था॒म् ॥ १.११७.२३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:117» Mantra:23 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:17» Mantra:23


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (नासत्या) सत्यव्यवहारयुक्त (कवी) सब पदार्थों में बुद्धि को चलाने और (अश्विना) विद्या की प्राप्ति करानेवाले सभासेनाधीशो ! (वाम्) तुम लोगों की (सुमतिम्) धर्मयुक्त उत्तम बुद्धि को मैं (आ, चके) अच्छे प्रकार सुनूँ। तुम दोनों (मे) मेरे लिये (विश्वाः) समस्त (धियः) धारणावती बुद्धियों को (सदा) सब दिन (प्र, अवतम्) प्रवेश कराओ तथा (अस्मे) हम लोगों के लिये (बृहन्तम्) अति बढ़े हुए (अपत्यसाचम्) पुत्र-पौत्र आदि युक्त (श्रुत्यम्) सुनने योग्य (रयिम्) धन को (रराथाम्) दिया करो ॥ २३ ॥
Connotation: - विद्यार्थी और राजा आदि गृहस्थों को चाहिये कि शास्त्रवेत्ता विद्वानों के निकट से उत्तम बुद्धियों को लेवें और वे विद्वान् भी उनके लिये विद्या आदि धन को दे निरन्तर उन्हें अच्छी सिखावट सिखाय के धर्मात्मा विद्वान् करें ॥ २३ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे नासत्या कवी अश्विना वां सुमतिमहमाचके युवां मे मह्यं विश्वा धियः सदा प्रवतमस्मे बृहन्तमपत्यसाचं श्रुत्यं रयिं रराथाम् ॥ २३ ॥

Word-Meaning: - (सदा) (कवी) सर्वेषां क्रान्तप्रज्ञौ (सुमतिम्) धर्म्यां धियम् (आ) (चके) शृणुयाम्। कै शब्देऽस्माल्लिट् व्यत्ययेनात्मनेपदम्। (वाम्) युवयोः (विश्वाः) अखिलाः (धियः) धारणावतीर्बुद्धीः (अश्विना) विद्याप्रापकौ (प्र) (अवतम्) प्रवेशयतम् (मे) मह्यम् (अस्मे) अस्मभ्यम् (रयिम्) धनम् (नासत्या) (बृहन्तम्) अतिप्रवृद्धम् (अपत्यसाचम्) पुत्रपौत्रादिसमेतम् (श्रुत्यम्) श्रोतुं योग्यम् (रराथाम्) दद्यातम्। अत्र राधातोर्लोटि बहुलं छन्दसीति शपः श्लुर्व्यत्ययेनात्मनेपदं च ॥ २३ ॥
Connotation: - विद्यार्थिभी राजादिगृहस्थैश्चाप्तानां विदुषां सकाशादुत्तमाः प्रज्ञाः प्रापणीयास्ते च विद्वांसस्तेभ्यो विद्यादिधनं प्रदाय सततं सुशिक्षितान् धार्मिकान् विदुषः संपादयन्तु ॥ २३ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - विद्यार्थी व राजा इत्यादी गृहस्थांनी शास्त्रवेत्त्या विद्वानांकडून उत्तम बुद्धी प्राप्त करावी व विद्वानांनीही विद्या इत्यादी धन देऊन त्यांना चांगली शिकवण देऊन धर्मात्मा विद्वान करावे. ॥ २३ ॥