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यदया॑तं॒ दिवो॑दासाय व॒र्तिर्भ॒रद्वा॑जायाश्विना॒ हय॑न्ता। रे॒वदु॑वाह सच॒नो रथो॑ वां वृष॒भश्च॑ शिंशु॒मार॑श्च यु॒क्ता ॥

English Transliteration

yad ayātaṁ divodāsāya vartir bharadvājāyāśvinā hayantā | revad uvāha sacano ratho vāṁ vṛṣabhaś ca śiṁśumāraś ca yuktā ||

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Pad Path

यत्। अया॑तम्। दिवः॑ऽदासाय। व॒र्तिः। भ॒रत्ऽवा॑जाय। अ॒श्वि॒ना॒। हय॑न्ता। रे॒वत्। उ॒वा॒ह॒। स॒च॒नः। रथः॑। वा॒म्। वृ॒ष॒भः। च॒। शिं॒शु॒मारः॑। च॒। यु॒क्ता ॥ १.११६.१८

Rigveda » Mandal:1» Sukta:116» Mantra:18 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:11» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:17» Mantra:18


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (हयन्ता) चलने (युक्ता) योगाभ्यास करने और (अश्विना) शत्रुसेना में व्याप्त होनेवाले सभा सेना के पतियो ! तुम दोनों (दिवोदासाय) न्याय और विद्या प्रकाश के देनेवाले (भरद्वाजाय) जिसके कि पुष्ट होते हुए पुष्टिमान् वेगवाले योद्धा हैं उसके लिये (यत्) जिस (वर्त्तिः) वर्त्तमान (रेवत्) अत्यन्त धनयुक्त गृह आदि वस्तु को (अयाताम्) प्राप्त होओ (च) और जो (वाम्) तुम दोनों का (वृषभः) विजय की वर्षा करानेहारा (शिंशुमारः) जिससे धर्म को उल्लङ्घ के चलानेहारों का विनाश करता है जो कि (सचनः) समस्त अपने सेनाङ्गों से युक्त (रथः) मनोहर विमानादि रथ तुम लोगों को चाहे हुए स्थान में (उवाह) पहुँचाता है, उसकी (च) तथा उक्त गृह आदि की रक्षा करो ॥ १८ ॥
Connotation: - राजा आदि राजपुरुषों को समस्त अपनी सामग्री न्याय से राज्य की पालना करने ही के लिये बनानी चाहिये ॥ १८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे हयन्ता युक्ताश्विना सभासेनाधीशौ युवां दिवोदासाय भरद्वाजाय यद्वर्त्तीरेवदयातं प्राप्नुतम्। यञ्च वां युवयोर्वृषभः शिंशमारः सचनो रथ उवाह तं तच्च सततं सरक्षतम् ॥ १८ ॥

Word-Meaning: - (यत्) (अयातम्) प्राप्नुतम् (दिवोदासाय) न्यायविद्याप्रकाशस्य दात्रे (वर्त्तिः) वर्त्तमानम् (भरद्वाजाय) भरन्तः पुष्यन्तः पुष्टिमन्तो वाजा वेगवन्तो योद्धारो यस्य तस्मै (अश्विना) शत्रुसेनाव्यापिनौ (हयन्ता) गच्छन्तौ (रेवत्) बहुधनयुक्तम् (उवाह) वहति (सचनः) सर्वैः सेनाङ्गैः स्वाङ्गैश्च समवेतः (रथः) रमणीयः (वाम्) युवयोः (वृषभः) विजयवर्षकः (च) दृढः (शिंशुमारः) शिंशून् धर्मोल्लङ्घिनः शत्रून् मारयति येन सः (च) तत्सहायकान् (युक्ता) कृतयोगाभ्यासौ ॥ १८ ॥
Connotation: - राजादिभिः राजपुरुषैः सर्वा स्वसामग्री न्यायेन राज्यपालनायैव विधेया ॥ १८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - राजा इत्यादी राजपुरुषांनी आपल्या संपूर्ण साधनांनी न्यायपूर्वक राज्याचे पालन करावे. ॥ १८ ॥