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उप॑ ते॒ स्तोमा॑न्पशु॒पा इ॒वाक॑रं॒ रास्वा॑ पितर्मरुतां सु॒म्नम॒स्मे। भ॒द्रा हि ते॑ सुम॒तिर्मृ॑ळ॒यत्त॒माथा॑ व॒यमव॒ इत्ते॑ वृणीमहे ॥

English Transliteration

upa te stomān paśupā ivākaraṁ rāsvā pitar marutāṁ sumnam asme | bhadrā hi te sumatir mṛḻayattamāthā vayam ava it te vṛṇīmahe ||

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Pad Path

उप॑। ते॒। स्तोमा॑न्। प॒शु॒पाःऽइ॑व। आ। अ॒क॒र॒म्। रास्व॑। पि॒तः॒। म॒रु॒ता॒म्। सु॒म्नम्। अ॒स्मे इति॑। भ॒द्रा। हि। ते॒। सु॒ऽमतिः। मृ॒ळ॒यत्ऽत॑मा। अथ॑। व॒यम्। अव॑। इत्। ते॒। वृ॒णी॒म॒हे॒ ॥ १.११४.९

Rigveda » Mandal:1» Sukta:114» Mantra:9 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:6» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:16» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा प्रजाजन परस्पर कैसे वर्त्तें, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (मरुताम्) ऋतु-ऋतु में यज्ञ करानेहारे की (पितः) पालना करते हुए दुष्टों को रुलानेहारे सभापति ! (हि) जिस कारण मैं (पशुपाइव) जैसे पशुओं को पालनेहारा चरवाहा अहीर गौ आदि पशुओं से दूध, दही, घी, मट्ठा आदि ले के पशुओं के स्वामी को देता है, वैसे (स्तोमान्) प्रशंसनीय रत्न आदि पदार्थों को (ते) आपके लिये (उप, आ, अकरम्) आगे करता हूँ, इस कारण आप (अस्मे) मेरे लिये (सुम्नम्) सुख (रास्व) देओ, (अथ) इसके अनन्तर जो (ते) आपकी (मृडयत्तमा) सब प्रकार से सुख करनेवाली (भद्रा) सुखरूप (सुमतिः) श्रेष्ठ मति और जो (ते) आपका (अवः) रक्षा करना है, उस मति और रक्षा करने को (वयम्) हम लोग जैसे (वृणीमहे) स्वीकार करते हैं (इत्) वैसे ही आप भी हम लोगों का स्वीकार करें ॥ ९ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार हैं। प्रजापुरुष राजपुरुषों से राजनीति और राजपुरुष प्रजापुरुषों से प्रजाव्यवहार को जान, जानने योग्य को जाने हुए सनातन धर्म का आश्रय करें ॥ ९ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजप्रजाजनाः परस्परं कथं वर्त्तेरन्नित्युपदिश्यते ।

Anvay:

हे मरुतां पितर्ह्यहं पशुपाइव स्तोमाँस्त उपाकरमतस्त्वमस्मे मह्यं सुम्नं रास्वाथ या ते तव मृडयत्तमा भद्रा सुमतिर्यत् ते तवावोऽस्ति तां तच्च वयं यथा वृणीमहे तथेत्त्वमप्यस्मान् स्वीकुरु ॥ ९ ॥

Word-Meaning: - (उप) (ते) तुभ्यम् (स्तोमान्) स्तुत्यान् रत्नादिद्रव्यसमूहान् (पशुपाइव) यथा पशुपालको गवादिभ्यो दुग्धादिकं गृहीत्वा गोस्वामिने समर्पयति (आ) (अकरम्) करोमि (रास्व) देहि। द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (पितः) पालयिता रुद्र (मरुताम्) ऋत्विजाम् (सुम्नम्) सुखम् (अस्मे) मह्यम् (भद्रा) कल्याणरूपा (हि) यतः (ते) तव (सुमतिः) शोभना प्रज्ञा (मृडयत्तमा) अतिशयेन सुखकर्त्री (अथ) अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (वयम्) (अवः) रक्षणादिकम् (इत्) एव (ते) तव (वृणीमहे) स्वीकुर्महे ॥ ९ ॥
Connotation: - अत्रोपमावाचकलुप्तोपमालङ्कारौ। प्रजापुरुषा राजपुरुषेभ्यो राजनीतिं प्रजापुरुषेभ्यः प्रजाव्यवहारं बुद्ध्वा विदितवेदितव्याः सन्तः सनातनं धर्ममाश्रयेयुः ॥ ९ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमा व वाचकलुप्तोपमालंकार आहेत. प्रजेने राजपुरुषांकडून राजनीती व राजपुरुषांनी प्रजेकडून प्रजेशी व्यवहार कसा असावा हे जाणावे व जाणण्यायोग्य, जाणलेल्या सनातन धर्माचा आश्रय घ्यावा. ॥ ९ ॥