Go To Mantra

तदू॒चुषे॒ मानु॑षे॒मा यु॒गानि॑ की॒र्तेन्यं॑ म॒घवा॒ नाम॒ बिभ्र॑त्। उ॒प॒प्र॒यन्द॑स्यु॒हत्या॑य व॒ज्री यद्ध॑ सू॒नुः श्रव॑से॒ नाम॑ द॒धे ॥

English Transliteration

tad ūcuṣe mānuṣemā yugāni kīrtenyam maghavā nāma bibhrat | upaprayan dasyuhatyāya vajrī yad dha sūnuḥ śravase nāma dadhe ||

Mantra Audio
Pad Path

तत्। ऊ॒चुषे॑। मानु॑षा। इ॒मा। यु॒गानि॑। की॒र्तेन्य॑म्। म॒घऽवा। नाम॑। बिभ्र॑त्। उ॒प॒ऽप्र॒यन्। द॒स्यु॒ऽहत्या॑य। व॒ज्री। यत्। ह॒। सू॒नुः। श्रव॑से। नाम॑। द॒धे ॥ १.१०३.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:103» Mantra:4 | Ashtak:1» Adhyay:7» Varga:16» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:15» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - जो (मघवा) बहुत धनोंवाला (सूनुः) वीर का पुत्र (वज्री) प्रशंसित शस्त्र-अस्त्र बाँधे हुए सेनापति जैसे सूर्य प्रकाशयुक्त है वैसे प्रकाशित होकर (ऊचुषे) कहने की योग्यता के लिये वा (दस्युहत्याय) जिसके लिये डाकुओं को हनन किया जाय उस (श्रवसे) धन के लिये (इमा) इन (मानुषा) मनुष्यों में होनेवाले (युगानि) वर्षों को तथा (कीर्त्तेन्यम्) कीर्त्तनीय (नाम) प्रसिद्ध और जल को (बिभ्रत्) धारण करता हुआ (उपप्रयन्) उत्तम महात्मा के समीप जाता हुआ (यत्) जिस (नाम) प्रसिद्ध काम को (दधे) धारण करता है (तत्) उस उत्तम काम को (ह) निश्चय से हम लोग भी धारण करें ॥ ४ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे सूर्य-काल के अवयव अर्थात् संवत्सर, महीना, दिन, घड़ी आदि और जल को धारण कर सब प्राणियों के सुख के लिये अन्धकार का विनाश करके सबको सुख देता है, वैसे ही सेनापति सुखपूर्वक संवत्सर और कीर्त्ति को धारण करके शत्रुओं के मारने से सबके सुख के लिये धन को उत्पन्न करे ॥ ४ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ।

Anvay:

मघवा सूनुर्वज्री सेनापतिर्यथा सूर्यस्तथोचुषे दस्युहत्याय श्रवसे इमा मानुषा युगानि कीर्त्तेन्यं नाम बिभ्रदुपप्रयन् यन्नाम दधे तद्ध खलु वयमपि दधीमहि ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (तत्) (ऊचुषे) वक्तुमर्हाय (मानुषा) मानुषेषु भवानि (इमा) इमानि (युगानि) वर्षाणि (कीर्तेन्यम्) कीर्तनीयम् (मघवा) भूयांसि मघानि धनानि विद्यन्ते यस्य सः (नाम) प्रसिद्धिं जलं वा (बिभ्रत्) धारयन् (उपप्रयन्) साधुसामीप्यङ्गच्छन् (दस्युहत्याय) दस्यूनां हत्या यस्मै तस्मै (वज्री) प्रशस्तशस्त्रसमूहयुक्तः सेनाधिपतिः (यत्) (ह) खलु (सूनुः) वीरपुत्रः (श्रवसे) धनाय (नाम) प्रसिद्धं कर्म (दधे) दधाति ॥ ४ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा सूर्यः कालावयवान् जलं च धृत्वा सर्वप्राणिसुखायान्धकारं हत्वा सर्वान् सुखयति तथैव सेनाधिपतिः सुखपूर्वकं संवत्सरान् कीर्त्तिं च धृत्वा शत्रुहननेन सर्वसुखाय धनं जनयेत् ॥ ४ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपयालंकार आहे. जसा सूर्य-काळाचे अवयव अर्थात् संवत्सर, महिना, दिवस, क्षण इत्यादींना व जलाला धारण करून सर्व प्राण्यांच्या सुखासाठी अंधकाराचा विनाश करून सर्वांना सुख देतो तसेच सेनापतीने सुखपूर्वक संवत्सर व कीर्ती धारण करून शत्रूंना मारण्यासाठी व सर्वांच्या सुखासाठी धन उत्पन्न करावे ॥ ४ ॥