Go To Mantra

यः शूरे॑भि॒र्हव्यो॒ यश्च॑ भी॒रुभि॒र्यो धाव॑द्भिर्हू॒यते॒ यश्च॑ जि॒ग्युभि॑:। इन्द्रं॒ यं विश्वा॒ भुव॑ना॒भि सं॑द॒धुर्म॒रुत्व॑न्तं स॒ख्याय॑ हवामहे ॥

English Transliteration

yaḥ śūrebhir havyo yaś ca bhīrubhir yo dhāvadbhir hūyate yaś ca jigyubhiḥ | indraṁ yaṁ viśvā bhuvanābhi saṁdadhur marutvantaṁ sakhyāya havāmahe ||

Mantra Audio
Pad Path

यः। शूरे॑भिः। हव्यः॑। यः। च॒। भी॒रुऽभिः॑। यः। धाव॑त्ऽभिः। हू॒यते॑। यः। च॒। जि॒ग्युभिः॑। इन्द्र॑म्। यम्। विश्वा॑। भुव॑ना। अ॒भि। स॒म्ऽद॒धुः। म॒रुत्व॑न्तम्। स॒ख्याय॑। ह॒वा॒म॒हे॒ ॥ १.१०१.६

Rigveda » Mandal:1» Sukta:101» Mantra:6 | Ashtak:1» Adhyay:7» Varga:12» Mantra:6 | Mandal:1» Anuvak:15» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा हो, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (यः) जो परमैश्वर्यवान् सेना आदि का अधिपति (शूरेभिः) शूरवीरों से (हव्यः) आह्वान करने अर्थात् चाहने योग्य (यः) जो (भीरुभिः) डरनेवालों (च) और निर्भयों से तथा (यः) जो (धावद्भिः) दौड़ते हुए मनुष्यों से वा (यः) जो (च) बैठे और चलते हुए उनसे (जिग्युभिः) वा जीतनेवाले लोगों से (हूयते) बुलाया जाता वा (यम्) जिस (इन्द्रम्) उक्त सेनाध्यक्ष को (विश्वा) समस्त (भुवना) लोकस्थ प्राणी (अभि) सम्मुखता से (संदधुः) अच्छे प्रकार धारण करते हैं, उस (मरुत्वन्तम्) अच्छे पढ़ानेवालों को रखनेहारे सेनाधीश को (सख्याय) मित्रपन के लिये हम लोग (हवामहे) स्वीकार करते हैं, उसको तुम भी स्वीकार करो ॥ ६ ॥
Connotation: - जो परमात्मा और सेना का अधीश सब लोकों का सब प्रकार से मेल करता है, वह सबको सेवन करने और मित्रभाव से मानने के योग्य है ॥ ६ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ।

Anvay:

य इन्द्रः शूरेभिर्हव्यो यो भीरुभिश्च यो धावद्भिर्हूयते यश्च जिग्युभिर्यमिन्द्रं विश्वा भुवनाभिसंदधुस्तं मरुत्वन्तं सख्याय हवामहे ॥ ६ ॥

Word-Meaning: - (यः) सेनाध्यक्षः (शूरेभिः) शूरवीरैः (हव्यः) आहवनीयः (यः) (च) निर्भयैः (भीरुभिः) कातरैः (यः) (धावद्भिः) वेगवद्भिः (हूयते) स्पर्द्ध्यते (यः) (च) आसीनैर्गच्छद्भिर्वा (जिग्युभिः) विजेतृभिः (इन्द्रम्) परमैश्वर्य्यवन्तं सेनाध्यक्षम् (यम्) (विश्वा) अखिलानि (भुवना) लोकाः प्राणिनश्च (अभि) आभिमुख्ये (संदधुः) संदधति (मरुत्वन्तं०) इति पूर्ववत् ॥ ६ ॥
Connotation: - यः परमात्मा सेनाधीशश्च सर्वांल्लोकान् सर्वतो मेलयति स सर्वैः सेवनीयः सुहृद्भावेन मन्तव्यश्च ॥ ६ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जो परमात्मा व सेनाधीश सर्व लोकांचा सर्व प्रकारे मेळ घालतो तो सर्वांनी अंगीकारण्यायोग्य व मित्रभावाने वागण्यायोग्य असतो. ॥ ६ ॥