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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
राजा और मन्त्री के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (इन्द्रः) हे परम ऐश्वर्यवाले राजन् ! (च) और (अग्ने) हे तेजस्वी मन्त्री ! [आप दोनों] (दाशुषे) दानशील [प्रजागण] के लिये (वृत्राणि) रोकावटों को (अप्रति) बे रोक-टोक (हतः) नाश करते हैं। (हि) क्योंकि (उभा) दोनों (वृत्रहन्तमा) रोकावटों के अत्यन्त नाश करनेवाले हैं ॥१॥
Connotation: - प्रतापी राजा और विद्वान् मन्त्री शत्रुओं से प्रजा की रक्षा करें ॥१॥
Footnote: १−(अग्ने) हे तेजस्विन् मन्त्रिन् (इन्द्रः) परमैश्वर्यवन् राजन्-इत्यर्थः (च) (दाशुषे) दानशीलाय प्रजागणाय (हतः) भवन्तौ नाशयतः (वृत्राणि) आवरकाणि कर्माणि (अप्रति) अप्रतिपक्षम् (उभा) द्वौ (हि) यतः (वृत्रहन्तमा) विघ्नानां नाशयितृतमौ ॥