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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
विवाह संस्कार का उपदेशः।
Word-Meaning: - (येन पथा) जिस मार्ग से (अश्विना) दिन और रात्री ने (सावित्रीम्) सूर्यसम्बन्धी (सूर्याम्) ज्योति को (ऊहतुः) प्राप्त किया है। (तेन) उसी [मार्ग से] (जायाम्) वीरों को उत्पन्न करनेवाली भार्या को (आ) मर्यादापूर्वक (वहतात्) तू प्राप्त कर, (इति) यह बात (भगः) बड़े ऐश्वर्यवाले भगवान् ने (माम्) मुझसे (अब्रवीत्) कही है ॥२॥
Connotation: - परमेश्वर ने आज्ञा दी है कि जिस प्रकार दिन और रात सूर्य की गति के आश्रित होकर उपकार करते हैं, इसी प्रकार स्त्री-पुरुष धर्म के लिये ही विवाह संस्कार करें ॥२॥
Footnote: २−(येन) (सूर्याम्) सूर्य−अर्शआद्यच् सूर्यदीप्तिम् (सावित्रीम्) सवितृ−अण्, ङीप्। सूर्यसम्बन्धिनीम् (अश्विना) अ० २।२९।६। अहोरात्रौ (ऊहतुः) वह प्रापणे−लिट्। प्राप्तवन्तौ (पथां) मार्गेण (तेन) पथा (माम्) (अब्रवीत्) (भगः) ऐश्वर्यवान् परमेश्वरः (जायाम्) वीरजननीं (पत्नीम्) (आ) मर्यादायाम् (वहतात्) वह। प्राप्नुहि (इति) वाक्यसमाप्तौ ॥