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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
उत्तम गर्भधारण का उपदेश।
Word-Meaning: - (पुत्रकाम्या) उत्तम सन्तान की कामनावाली (अदितिः) अखण्डव्रता स्त्री ने (यम्) जिस [जैसे] (परिहस्तम्) हाथ का सहारा देनेवाले पति को (अबिभः) धारण किया है। (त्वष्टा) विश्वकर्मा वा शिल्पी परमात्मा (तम्) उस [वैसे ही पति] को (अस्यै) इस पत्नी के लिये (आ बध्नात्) नियमबद्ध करे (यथा) जिससे वह पत्नी (पुत्रम्) कुलशोधक सन्तान (जनात्) उत्पन्न करे, (इति) यही प्रयोजन है ॥३॥
Connotation: - जिस प्रकार स्त्री-पुरुष वेदविहित रीति से प्रेम के साथ उत्तम सन्तान उत्पन्न करते रहे हैं, उसी प्रकार से स्त्री-पुरुष परस्पर अनुराग के साथ श्रेष्ठ सन्तान उत्पन्न करें ॥३॥
Footnote: ३−(यम्) यादृशम् (परिहस्तम्) परोपकाराय प्रसृतकरं पुरुषम् (अबिभः) डुभृञ् धारणपोषणयोः−लङि रूपम्। धृतवती (अदितिः) अ० २।२८।४। दो अवखण्डने−क्तिन्। अखण्डव्रता स्त्री (पुत्रकाम्या) काम्यच्च। पा० ३।१।९। इति पुत्र−काम्यच् इच्छार्थे। पुत्रं कुलशोधकं सन्तानम् आत्मनमिच्छन्ती (त्वष्टा) अ० २।५।६। विश्वकर्मा परमात्मा (तम्) तादृशं पतिम् (अस्यै) पत्नीहिताय (आ) समन्तात् (बध्नात्) नियमे बध्नातु (यथा) येन प्रकारेण (पुत्रम्) कुलशोधकं सन्तानम् (जनात्) जनेर्ण्यन्तात् लेटि आडागमः। छन्दस्युभयथा। पा० ३।४।११७। आर्धधातुकत्वात् णिलोपः। जनयेत् ॥