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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
उत्तम गर्भधारण का उपदेश।
Word-Meaning: - [हे पुरुष !] तू (यन्ता) नियम में चलनेवाला (असि) है, तू (हस्तौ) अपने दोनों हाथों को [सहायता के लिये] (यच्छसे) देनेवाला है, तू (रक्षांसि) राक्षसों [विघ्नों] को (अप सेधसि) हटाता है। (प्रजाम्) प्रजा (च) और (धनम्) धन को (गृह्णानः) सहारा देते हुए (अयम्) यह आप (परिहस्तः) हाथ का सहारा देनेवाले (अभूत्) हुए हैं ॥१॥
Connotation: - जितेन्द्रिय पुरुष ही सब दरिद्रता आदि विघ्नों को हटा कर प्रजा और धन की रक्षा करके गृहस्थ आश्रम चलाने में समर्थ होते हैं ॥१॥
Footnote: १−(यन्ता) नियामकः। जितेन्द्रियः (असि) (यच्छसे) पाघ्राध्मास्थाम्नादाण्०। पा० ७।३।७८। इति दाण् दाने−यच्छादेशः, आत्मनेपदं छान्दसम्। ददासि सहायार्थम् (हस्तौ) (रक्षांसि) दारिद्र्यादिविघ्नान् (अप सेधसि) अपगमयसि (प्रजाम्) पुत्रभृत्यादिरूपाम् (धनम्) सुवर्णादिकम् (च) (गृह्णानः) अवलम्बमानः (परिहस्तः) परिगतः प्रसृतः परोपकाराय हस्तो यस्य सः पुरुषः (अभूत्) (अयम्) प्रसिद्धो भवान् ॥