Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
सर्वसम्पत्ति पाने का उपदेश।
Word-Meaning: - (संस्फान) हे सब प्रकार वृद्धिवाले (देव) प्रकाशस्वरूप परमात्मन् ! (सहस्रपोषस्य) सहस्र प्रकार के पोषण का (ईशिषे) तू स्वामी है। (तस्य) उस [पोषण] का (नः) हमें (रास्व) दान कर, (तस्य) उसका (नः) हमारे लिये (धेहि) धारण कर, (तस्य ते) उस तेरी (भक्तिवांसः) भक्तिवाले (स्याम) हम होवें ॥३॥
Connotation: - मनुष्य परमेश्वर की भक्तिपूर्वक पुरुषार्थ करके उसके अक्षय भण्डार से सब प्रकार के अन्न आदि पदार्थ प्राप्त करके सदा सुखी रहें ॥३॥
Footnote: ३−(देव) हे प्रकाशमय (संस्फान) सम्+स्फायी वृद्धौ-क्त, छान्दसं रूपम्। हे सम्यक् स्फीत। प्रवृद्ध (सहस्रपोषस्य) अपरिमितपोषणस्य (ईशिषे) ईश्वरो भवसि (तस्य) पोषस्य (नः) अस्मभ्यम् (रास्व) दानं कुरु (तस्य) (नः) (धेहि) धारणं कुरु (तस्य) तथाविधस्य (ते) तव, परमेश्वरस्य (भक्तिवांसः) छन्दसीवनिपौ च वक्तव्यौ। वा० पा० ५।२।१०९। इति भक्ति−वनिप् मत्वर्थे, सकारोपजनश्छान्दसः। भक्तिमान् श्रद्धावन्तः (स्याम) भवेम ॥