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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
गृहस्थ आश्रम में प्रवेश का उपदेश।
Word-Meaning: - (अयम्) यह (विषितस्तुपः) प्रसिद्ध स्तुतिवाला (अर्यमा) अन्धकारनाशक सूर्य (अस्यै) इस (अग्रुवै) ज्ञानवती कन्या के लिये (पतिम्) पति, (उत) और (अजानये) अविवाहित पुरुष के लिये (जायाम्) पत्नी (इच्छन्) चाहता हुआ (पुरस्तात्) हमारे आगे (आ याति) आता है ॥१॥
Connotation: - ब्रह्मचारिणी और ब्रह्मचारी वेद आदि शास्त्रों के अध्ययन से सूर्य के समान तेजस्वी अर्थात् ब्रह्मवर्चसी होकर युवा अवस्था में गृहस्थाश्रम में प्रवेश करें ॥१॥
Footnote: १−(अयम्) पुरोदृश्यमानः (आ याति) आगच्छति (अर्यमा) अ० ३।१४।२। अन्धकारनाशकः सूर्यः (पुरस्तात्) अस्माकमग्रे (विषितस्तुपः) वि-षो अन्तकर्मणि−क्त। स्तुवो दीर्घश्च। उ० ३।२५। इति ष्टुञ् स्तुतौ−प। विषितो विज्ञातः स्तुपः स्तुतिर्यस्य सः। प्रसिद्धस्तोमः (अस्यै) प्रसिद्धायै गुणवत्यै (इच्छन्) अभिलष्यन् (अग्रुवै) जत्र्वादयश्च। उ० ४।१०२। इति अगि गतौ−रु, ऊङ्। ज्ञानवत्यै कन्यायै (पतिम्) भर्तारम् (जायाम्) पत्नीम् (अजानये) जायारहिताय। अविवाहिताय पुरुषाय ॥