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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
दोष के नाश के लिये उपदेश।
Word-Meaning: - (इदम्) यह [वेदज्ञान] (इत्) ही (वै) निश्चय करके (भेषजम्) भयनिवारक वस्तु है, (इदम्) यह (उ) ही (रुद्रस्य) दुःखनाशक परमेश्वर का (भेषजम्) औषध है। (येन) जिससे [मनुष्य] (एकतेजनाम्) देहरूप एक दण्डवाले और (शतशल्याम्) व्याधिरूप सैकड़ों अणीवाले (इषुम्) बाण को (अपब्रवत्) हटा कर बोले ॥१॥
Connotation: - मनुष्य परमेश्वरदत्त वेदज्ञान से अपन पापों को नष्ट कर सुखी होवे, जैसे घाव से तीर निकलने पर सुख मिलता है ॥१॥
Footnote: १−(इदम्) प्रत्यक्षं वेदज्ञानम् (इत्) एव (वै) निश्चयेन (उ) एव (भेषजम्) भयनाशकं वस्तु (इदम्) (रुद्रस्य) अ० २।२७।६। दुःखनाशकस्य परमेश्वरस्य (भेषजम्) औषधम् (येन) औषधेन (इषुम्) बाणम् (एकतेजनाम्) तिज निशाने पालने च−ल्यु। तेजनो वशः। एकस्तेजनः शरीररूपो वेणुकाण्डो यस्याः सा, तथाविधाम् (शतशल्याम्) व्याधिरूपाणि शतानि बहूनि शल्यानि अयोमुखानि प्रोतानि यस्यां, तादृशीम् (अपब्रवत्) अप वियोगे। वियुज्य ब्रूयात् ॥