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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
दोष के नाश के लिये उपदेश।
Word-Meaning: - (असिताय) काले साँप के लिये (नमः) वज्र (अस्तु) होवे, (तिरश्चिराजये) तिरछी धारीवाले साँप के लिये (नमः) वज्र और (स्वजाय) लिपटनेवाले (बभ्रवे) भूरे साँप के लिये (नमः) वज्र होवे। (देवजनेभ्यः) विद्वान् जनों के लिये (नमः) सत्कार है ॥२॥
Connotation: - मनुष्य विद्वानों की संगति से अपने पापों का नाश करे, जैसे सर्प को वज्रादि से मार डालते हैं ॥२॥
Footnote: २−(नमः) नमयति शत्रून्। वज्रनाम−निघ० २।२०। (अस्तु) भवतु (असिताय) अ० ३।२७।१। कृष्णसर्पाय (नमः) वज्रः (तिरश्चिराजये) अ० ३।२७।२। तिरश्च्यः, तिर्यगवस्थिता राजयः पङ्क्तयो यस्य तथाविधाय सर्पाय (स्वजाय) अ० ३।२७।४। कप्रकरणे मूलविभुजादिभ्य उपसंख्यानम्। वा० पा० ३।२।५। इति ष्वञ्ज आलिङ्गने−क। अनिदितां हल उपधाया०। पा० ६।४।२४। इति नलोपः। आलिङ्गनशीलाय सर्पाय (बभ्रवे) पिङ्गलवर्णाय। अन्यद् गतम् ॥