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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
शत्रुओं के शासन का उपदेश।
Word-Meaning: - [वह शत्रु] (उत्तरेभ्यः) ऊँचे लोगों से (अधरोऽधरः) नीचे-नीचे और (गूढः) गुप्त होकर (पृथिव्याः) पृथिवी से (मा उत् सृपत्) कभी न उठे, और (वज्रेण) वज्र से (अवहतः) मार डाला गया (शयाम्) पड़ा रहे ॥२॥
Connotation: - अधर्मी लोगों को श्रेष्ठों के बीच उच्च आसन कभी न मिले ॥२॥
Footnote: २−(अधरोऽधरः) अतिशयेनाधरः। निकृष्टतरः (उत्तरेभ्यः) उत्कृष्टतरेभ्यः (गूढः) संवृतः (पृथिव्याः) भूमेः सकाशात् (मा) निषेधे (उत्सृपत्) उत्सर्पतु। उत्तिष्ठतु (वज्रेण) (अवहतः) चूर्णीकृतः (शयाम्) लोपस्त आत्मनेपदेषु। पा० ७।१।४१। तलोपः। शेताम्। म्रियतामित्यर्थः ॥