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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
परस्पर पालन का उपदेश।
Word-Meaning: - (अनुमते) हे अनुकूल बुद्धि ! तू (इदम्) इसको (अनु मन्यस्व) प्रसन्नता से स्वीकार कर, (आकूते) हे उत्साह शक्ति ! (इदम्) यह (नमः) अन्न (सम्) ठीक रीति से [हमारे लिये हो]। (देवाः) हे विद्वानों ! (स्मरम्) स्मरण सामर्थ्य को (प्र) अच्छे प्रकार (हिणुत) बढ़ाओ, (असौ) वह [स्मरण सामर्थ्य] (माम् अनु) मुझमें व्यापकर (शोचतु) शुद्ध रहे ॥२॥
Connotation: - मनुष्य बुद्धि और उत्साह के साथ अपने सब काम ठीक-ठीक सिद्ध करें ॥२॥
Footnote: २−(अनुमते) अ० १।१८।२। हे सहायिके बुद्धे (इदम्) क्रियमाणं कर्म (अनु मन्यस्व) स्वीकुरु (आकूते) हे उत्साहशक्ते−यथा दयानन्दभाष्ये, यजु० ४।७। (सम्) सम्यक् (इदम्) (नमः) अन्नम्−निघ० २।७। अन्यत् पूर्ववत् ॥