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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
ऐश्वर्य पाने का उपदेश।
Word-Meaning: - [हे परमात्मन् !] (यः) जो (अन्धः) जीवन का आधार और (यः) जो (पुनःसरः) बार-बार आगे बढ़नेवाला (भगः) ऐश्वर्य (वृक्षेषु) सब स्वीकारयोग्य पदार्थों में (आहितः) अच्छे प्रकार धारण किया गया है, (तेन) उस ऐश्वर्य से (मा) मुझको (भगिनम्) ऐश्वर्यवाला (कृणु) कर, (अरातयः) हमारे सब कंजूस स्वभाव (अप द्रान्तु) दूर भाग जावें ॥३॥
Connotation: - मनुष्य परमेश्वर के गुणों को ध्यान करके चिरस्थायी ऐश्वर्य और सुख बढ़ावें ॥३॥
Footnote: ३−(यः) भगः (अन्धः) अन्धं इत्यन्ननामाध्यानीयं भवति−निरु० ५।१। अन जीवने−पचाद्यच्, धुगागमः। जीवनाधारः (पुनःसरः) अ० ४।१७।२। वारंवारं सरति प्रवर्तते यः सः (भगः) ऐश्वर्यम् (वृक्षेषु) म० २। वरणीयेषु श्रेष्ठेषु पदार्थेषु (आहितः) समन्तात् स्थापितः। अन्यत् पूर्ववत् ॥