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येन॑ वृ॒क्षाँ अ॒भ्यभ॑वो॒ भगे॑न॒ वर्च॑सा स॒ह। तेन॑ मा भ॒गिनं॑ कृ॒ण्वप॑ द्रा॒न्त्वरा॑तयः ॥

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येन । वृक्षान् । अभिऽअभव: । भगेन । वर्चसा । सह । तेन । मा । भगिनम् । कृणु । अप । द्रान्तु । अरातय: ॥१२९.२॥

Atharvaveda » Kand:6» Sukta:129» Paryayah:0» Mantra:2


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

ऐश्वर्य पाने का उपदेश।

Word-Meaning: - [हे परमेश्वर !] (वर्चसा सह) तेज के साथ वर्तमान (येन भगेन) जैसे ऐश्वर्य से तू (वृक्षान्) सब स्वीकार योग्य पदार्थों से (अभ्यभवः) बढ़ गया है। (तेन) वैसे ऐश्वर्य से (मा) मुझको (भगिनम्) बड़े ऐश्वर्यवाला (कृणु) कर, (अरातयः) हमारे सब कंजूस स्वभाव (अप द्रान्तु) दूर भाग जावें ॥२॥
Connotation: - मनुष्य परमेश्वर को सर्वश्रेष्ठ जान कर संसार में तेजस्वी और धनवान् होवें ॥२॥
Footnote: २−(येन) यादृशेन (वृक्षान्) अ० ३।६।८। सर्वान् स्वीकरणीयान् पदार्थान् (अभ्यभवः) पराजितवानसि (भगेन) ऐश्वर्येण (वर्चसां सह) तेजसा सहितेन (तेन) तादृशेन (मा) माम् (भगिनम्) ऐश्वर्यवन्तम् (कृणु) कुरु। अन्यद्गतम्−म० १ ॥