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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
ऐश्वर्य पाने का उपदेश।
Word-Meaning: - (मेदिना) परममित्र (इन्द्रेण साकम्) सम्पूर्ण ऐश्वर्यवाले जगदीश्वर के साथ वर्तमान (शांशपेन) शान्ति के स्पर्श से युक्त (भगेन) ऐश्वर्य से (मा मा) अपने को अवश्य (भगिनम्) बड़े ऐश्वर्यवाला (कृणोमि) मैं करूँ। (अरातयः) हमारे सब कंजूस स्वभाव (अप द्रान्तु) दूर भाग जावें ॥१॥
Connotation: - मनुष्य आनन्दकन्द परमेश्वर के अखण्ड कोश से उपकार लेकर सुपात्रों को दान करते रहें ॥१॥
Footnote: १−(भगेन) पुंसि सज्ञायां घः प्रायेण। पा० ३।३।११८। भज सेवायाम्−घ। चजोः कु घिण्ण्यतोः। पा० ७।३।५२। इति कुत्वम्। ऐश्वर्येण। धनेन−निघ० २।१०। (मा मा) मां माम्। आत्मानमेव (शांशपेन) शेपः शपतेः स्पृशतिकर्मणः−निरु० ३।२१। शम्+शप स्पर्शे−अच्। ततोऽण्। शान्तेः स्पर्शयुक्तेन (साकम्) सह वर्तमानेन (इन्द्रेण) परमेश्वरेण (मेदिना) परमस्नेहिना (कृणोमि) करोमि (भगिनम्) ऐश्वर्यवन्तम् (अप द्रान्तु) द्रा कुत्सायां गतौ। दूरे पलायन्ताम् (अरातयः) अदानशीला अस्माकं स्वभावाः ॥