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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
रोग के नाश का उपदेश।
Word-Meaning: - (वनस्पते) हे वटादि वृक्ष ! (ओषधे) हे अन्न आदि ओषधि ! (विद्रधस्य) ज्ञाननाशक, हृदय के फोड़े के, (बलासस्य) बल के गिरानेवाले सन्निपात कफादि रोग के, (लोहितस्य) रुधिर विकार सूजन आदि के, (विसल्पकस्य) शरीर में फैलनेवाले हड़फूटन के (पिशितम् चन) थोड़े अंश को भी (मा उत शिषः) शेष मत छोड़ ॥१॥
Connotation: - वैद्य रोगनिदान जानकर उत्तम परीक्षित ओषधियों से रोगनिवृत्ति करे ॥१॥
Footnote: १−(विद्रधस्य) विदं ज्ञानं रध्यति हिनस्तीति, विद् ज्ञाने क्विप्+रध हिंसने पाके च−अच्। हृदयव्रणस्य। विद्रधेः (बलासस्य) अ० ४।९।८। सन्निपातश्लेष्मादिविकारस्य (लोहितस्य) रुहे रश्च लो वा। उ० ३।९४। इति रुह बीजजन्मनि प्रादुर्भावे च−इतन्, रस्य लः। प्रादुर्भावस्य। रुधिरविकारस्य (वनस्पते) वटादिवृक्ष (विसल्पकस्य) सृप सर्पणे−अच्, कन्, रस्य लः। शरीरे विसर्पणशीलस्य विसर्परोगस्य (ओषधेः) (मोच्छिषः) शिष्लृ विशेषणे−लुङ्। मोच्छेषय (पिशितम्) पिश अवयवे−क्त। अवयवम्। अंशम् (चन) किमपि ॥