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तद्वात॒ उन्म॑थायति ॥

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तत् । वात: । उन्मथायति ॥१३२.४॥

Atharvaveda » Kand:20» Sukta:132» Paryayah:0» Mantra:4


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

परमात्मा के गुणों का उपदेश।

Word-Meaning: - (तत्) उस [ब्रह्म] को (वातः) वायु (उन्मथायति) अच्छे प्रकार मथन [मनन] करता है ॥४॥
Connotation: - वह ब्रह्म निराधार अकेला होकर सबका आधार और बनानेवाला है, वायु आदि पदार्थ उसकी आज्ञा में चलते हैं। सब मनुष्य उसकी उपासना करें ॥१-४॥
Footnote: ४−(तत्) ब्रह्म (वातः) वायुः (उन्मथायति) उत्तमतया मथनं मननं करोति ॥