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यत्रा॒मूस्तिस्रः॑ शिंश॒पाः ॥

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यत्र । अमू: । तिस्र: । शिंशपा: ॥१२९.७॥

Atharvaveda » Kand:20» Sukta:129» Paryayah:0» Mantra:7


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।

Word-Meaning: - (यत्र) जहाँ (अमूः) वे (तिस्रः) तीन [माता, पिता और आचार्य रूप प्रजाएँ] (शिंशपाः) बालक को पालनेवाली हैं ॥७॥
Connotation: - जिस कुल में माता, पिता और आचार्य सुशिक्षक है, वहाँ सन्तान सदा सुखी रहते हैं, और जैसे अजगर साँप अपने श्वास से खैंचकर प्राणियों को खा जाते हैं, वैसे ही विद्वान् सन्तानों को तीनों क्लेश नहीं सताते हैं ॥७-१०॥
Footnote: ७−(यत्र) यस्मिन् कुले (अमूः) प्रसिद्धाः (तिस्रः) मातापित्राचार्यरूपाः प्रजाः (शिंशपाः) छान्दसं रूपम्। शिशुपाः। बालानां पालिकाः ॥