गृहस्थ के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (पर्शुः) शत्रुओं का नाश करनेवाली (मानवी) मनुष्य की विभूति ने (ह) निश्चय करके (नाम) प्रसिद्ध (विशतिम्) बीस [पाँच ज्ञानेन्द्रियों और पाँच कर्मन्द्रियों और इनके दस विषयों] को (साकम्) एक साथ (ससूव) उत्पन्न किया है। (भल) हे विचारवान् ! [आत्मा] (त्यस्यै) उस [माता] के लिये (भद्रम्) कल्याण (अभूत्) हुआ है, (यस्याः) जिस [माता] के (उदरम्) पेट को (आमयत्) उस [गर्भ] ने पीड़ा दी थी, (इन्द्रः) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाला मनुष्य] (विश्वस्मात्) सब [प्राणी मात्र] से (उत्तरः) उत्तम है ॥२३॥
Connotation: - दस इन्द्रियाँ और उनके दस विषय, मनुष्य की उत्तम विभूति अर्थात् शक्ति से उत्तम होते हैं, इस लिये मनुष्य तपश्चरण से उत्तम विद्या प्राप्त करके सुख पावें, जैसे माता गर्भ का कष्ट सहकर उत्तम सन्तान उत्पन्न करके सुख पाती है ॥२३॥