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इ॒मा नु कं॒ भुव॑ना सीषधा॒मेन्द्र॑श्च॒ विश्वे॑ च दे॒वाः। य॒ज्ञं च॑ नस्त॒न्वं च प्र॒जां चा॑दि॒त्यैरिन्द्रः॑ स॒ह ची॑क्लृपाति ॥

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इमा । नु । कम् । भुवना । सीसधाम । इन्द्र: । च । विश्वे । च । देवा: ॥ यज्ञम् । च । न: । तन्वम् । च । प्रऽजाम् । च । आदित्यै: । इन्द्र: । सह । चीक्लृपाति ॥१२४.४॥

Atharvaveda » Kand:20» Sukta:124» Paryayah:0» Mantra:4


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

राजा और प्रजा के धर्म का उपदेश।

Word-Meaning: - (इमा) यह (भुवना) उत्पन्न पदार्थ, (च) और (इन्द्रः) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाला सभापति] (च) और (विश्वे) सब (देवाः) विद्वान् लोग हम (नु) शीघ्र (कम्) सुख को (सीषधाम) सिद्ध करें। (आदित्यैः सह) अखण्ड व्रतधारी विद्वानों के साथ (इन्द्रः) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाला सभापति] (नः) हमारे (यज्ञम्) यज्ञ [मेल-मिलाप आदि] को (च) और (तत्त्वम्) शरीर (च) और (प्रजाम्) प्रजा [सन्तान आदि] को (च) भी (चीक्लृपाति) समर्थ करे ॥४॥
Connotation: - सभापति राजा और सभासद् लोग संसार के सब पदार्थों से उपकार लेकर सबकी यथावत् रक्षा करें ॥४॥
Footnote: मन्त्र ४-६ आचुके हैं-अथ० २०।६३।१-३ ॥ ४-६−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अथ० ६३।१-३ ॥