Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
मनुष्यों को कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (पूर्वरूपाणि) पूर्व रूप [आरम्भ के चिह्न] (शान्तानि) शान्तियुक्त, (कृताकृतम्) किया हुआ और न किया हुआ [मन में विचारा हुआ कर्म] (नः) हमारे लिये (शान्तम्) शान्तियुक्त (अस्तु) होवे। (भूतम्) बीता हुआ (च) और (भव्यम्) होनेवाला (शान्तम्) शान्तियुक्त (च) और (सर्वम्) सब (एव) ही (नः) हमारे लिये (शम्) शान्तियुक्त (अस्तु) होवे ॥२॥
Connotation: - यह कार्य कैसे हुआ वा कैसे होगा, हमने किया है वा करना विचारा है, उस का फल क्या होगा, पूर्वजों के कर्म का क्या फल हुआ, आगे क्या होगा, ऐसा सोचकर मनुष्य उचित कर्तव्य करता हुआ आनन्द प्राप्त करे ॥२॥
Footnote: २−(शान्तानि) शान्तियुक्तानि। सुखकराणि (पूर्वरूपाणि) प्रथमलक्षणानि। आरम्भचिह्नानि (नः) अस्मभ्यम् (अस्तु) (कृताकृतम्) कृतं निष्पादितम् अकृतमनिष्पादितं मनसि निर्धारितं कर्म (शान्तम्) (भूतम्) अतीतम् (च) (भव्यम्) भविष्यत्। अनागतम् (च) (सर्वम्) (एव) निश्चयेन (शम्) शान्तिकरम् (अस्तु) (नः) अस्मभ्यम् ॥