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विष्व॑ञ्च॒स्तस्मा॒द्यक्ष्मा॑ मृ॒गा अश्वा॑ इवेरते। यद्गु॑ल्गु॒लु सै॑न्ध॒वं यद्वाप्यसि॑ समु॒द्रिय॑म् ॥

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विष्वञ्चः। तस्मात्। यक्ष्माः। मृगाः। अश्वाःऽइव। ईरते। यत्। गुल्गुलु। सैन्धवम्। यत्। वा। अपि। असि। समुद्रियम् ॥३८.२॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:38» Paryayah:0» Mantra:2


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

रोग नाश करने का उपदेश।

Word-Meaning: - (तस्मात्) उस [पुरुष] से (विष्वञ्चः) सब ओर फैले हुए (यक्ष्माः) राजरोग, (मृगाः) हरिण [वा] (अश्वा इव) घोड़ों के समान (ईरते) दौड़ जाते हैं। (यत्) जहाँ पर तू (सैन्धवम्) नदी से उत्पन्न, (वा) अथवा (यत्) जहाँ पर (समुद्रियम्) समुद्र से उत्पन्न हुआ (अपि) ही (गुल्गुलु) गुल्गुलु [गुग्गुल] (असि) होता है ॥२॥
Connotation: - गुग्गुल नदी वा समुद्र के पास के वृक्ष विशेष का निर्यास अर्थात् गोंद होता है, उसको अग्नि पर जलाने से सुगन्ध उठता है, जिससे अनेक रोग नष्ट होते हैं ॥२, ३॥
Footnote: २−(विष्वञ्चः) विष्वगञ्चनाः नाना देशव्याप्ताः (तस्मात्) पुरुषात् (यक्ष्माः) राजरोगाः (मृगाः) जन्तुविशेषाः (अश्वाः) तुरङ्गाः (इव) यथा (ईरते) धावन्ति (यत्) यत्र (गुल्गुलु) म०१। गुग्गुलु (सैन्धवम्) नदीप्रदेशजम् (यत्) यत्र (वा) अथवा (अपि) एव (असि) अस्ति (समुद्रियम्) समुद्रभवम् ॥