Go To Mantra

ऊ॒र्जे त्वा॒ बला॑य॒ त्वौज॑से॒ सह॑से त्वा। अ॑भि॒भूया॑य त्वा राष्ट्र॒भृत्या॑य॒ पर्यू॑हामि श॒तशा॑रदाय ॥

Mantra Audio
Pad Path

ऊर्जे। त्वा। बलाय। त्वा। ओजसे। सहसे। त्वा। अभिऽभूयाय। त्वा। राष्ट्रऽभृत्याय। परि। ऊहामि। शतऽशारदाय ॥३७.३॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:37» Paryayah:0» Mantra:3


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

बल की प्राप्ति का उपदेश –॥

Word-Meaning: - [हे परमात्मन् !] (त्वा) तुझे (ऊर्जे) अन्न के लिये, (बलाय) बल के लिये, (त्वा) तुझे (ओजसे) पराक्रम के लिये, (त्वा) तुझे (सहसे) उत्साह के लिये, (त्वा) तुझे (अभिभूयाय) विजय के लिये, और (राष्ट्रभृत्याय) राज्य के पोषण के लिये और (शतशारदाय) सौ वर्षवाले [जीवन] के लिये (परि) अच्छे प्रकार [ऊहामि] तर्क से निश्चय करता हूँ ॥३॥
Connotation: - जो मनुष्य परमात्मा में श्रद्धा करते हैं, वे सब प्रकार का बल प्राप्त करके आनन्द भोगते हैं ॥३॥
Footnote: ३−(ऊर्जे) अन्नलाभाय (त्वा) त्वाम् (बलाय) सामर्थ्याय (त्वा) (ओजसे) पराक्रमाय (सहसे) उत्साहाय (त्वा) (अभिभूयाय) अभि+भू सत्तायां प्राप्तौ च-क्यप्। अभिभवनाय विजयाय (त्वा) (राष्ट्रभृत्याय) डुभृञ् धारणपोषणयोः-क्यप्, तुक्। राज्यपोषणाय (परि) सर्वतः (ऊहामि) तर्केण निश्चिनोमि (शतशारदाय) शतवर्षयुक्ताय जीवनाय ॥