यो जाय॑मानः पृथि॒वीमदृं॑ह॒द्यो अस्त॑भ्नाद॒न्तरि॑क्षं॒ दिवं॑ च। यं बि॑भ्रतं न॒नु पा॒प्मा वि॑वेद॒ स नो॒ऽयं द॒र्भो वरु॑णो दि॒वा कः॑ ॥
यः। जायमानः। पृथिवीम्। अदृंहत्। यः। अस्तभ्नात्। अन्तरिक्षम्। दिवम्। च। यम्। बिभ्रतम्। ननु। पाप्मा। विवेद। सः। नः। अयम्। दर्भः। वरुणः। दिवा। कः ॥३२.९॥
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
शत्रुओं के हराने का उपदेश।