Go To Mantra

नमो॑ वः पितरो॒भामा॑य॒ नमो॑ वः पितरो म॒न्यवे॑ ॥

Mantra Audio
Pad Path

नम: । व: । पितर: । भामाय । नम: । व: । पितर: । मन्यवे ॥४.८२॥

Atharvaveda » Kand:18» Sukta:4» Paryayah:0» Mantra:82


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

पितरों के सन्मान का उपदेश।

Word-Meaning: - (पितरः) हे पितरो ! [पालक ज्ञानियो] (भामाय) प्रताप की प्राप्ति के लिये (वः) तुम को (नमः) नमस्कारहो, (पितरः) हे पितरो ! [पालक ज्ञानियो] (मन्यवे) क्रोध की निवृत्ति के लिये (वः) तुम को (नमः) नमस्कार हो ॥८२॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये किपराक्रम आदि शुभ गुणों की प्राप्ति के लिये और क्रोध आदि दुर्गुणों की निवृत्तिके लिये ज्ञानी पितरों का अनेक प्रकार सत्कार करके सदुपदेश ग्रहण करें॥८१-८५॥
Footnote: ८२−(भामाय)अर्त्तिस्तुसुहुसृधृक्षिक्षुभा०। उ० १।१४०। भा दीप्तौ-मन्। भामं प्रकाशं प्रतापंप्राप्तुम् (मन्यवे) यथा म० ८१। मन्युं क्रोधं निवर्तयितुम्। अन्यत् पूर्ववत् ॥