Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
पितरों के सन्मान का उपदेश।
Word-Meaning: - (दिविषद्भ्यः) प्रकाशविद्या में गतिवाले (पितृभ्यः) पितरों [पालक ज्ञानियों] को (स्वधा) अन्न हो॥८०॥
Connotation: - जो पितर पण्डित लोगपृथिवी अर्थात् राज्यविद्या, भूगर्भविद्या आदि में चतुर हों, जो ज्योतिषी आकाशविद्याअर्थात् सौरमण्डल, तारामण्डल, वायुमण्डल आदि विद्या में दक्ष हों और जोमहापुरुष अन्य व्यवहारों अर्थात् संग्रामविद्या, धर्मशिक्षा आदि विद्या मेंगुणी होवें, सब मनुष्य ऐसे महात्माओं का सदा आदर करते रहें॥७८-८०॥७८-८० इन मन्त्रों का मिलान करो यजु० ९।२ ॥
Footnote: ८०−(दिविषद्भ्यः) सप्तम्या अलुक्। प्रकाशविद्यायां गतिशीलेभ्यः। अन्यत्पूर्ववत् ॥