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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
सर्प रूप दोषों के नाश का उपदेश।
Word-Meaning: - (तिरश्चिराजयः) तिरछी धारीवाले (पृदाकवः) फुँसकारनेवाले [साँप] (हताः) मार डाले गये और (निपिष्टासः) कुचिल डाले गये [हों]। (दर्भेषु) दाभों में (दर्विम्) फन को (करिक्रतम्) बड़ा करनेवाले, (श्वित्रम्) श्वेत और (असितम्) काले [साँप] को (जहि) मार डाल ॥१३॥
Connotation: - मनुष्य महाउपद्रवियों को साँपों के समान मारें ॥१३॥
Footnote: १३−(हताः) नाशिताः (तिरश्चिराजयः) अ० ३।२७।२। तिर्यगवस्थितरेखाः (निपिष्टासः) अत्यन्तचूर्णिताः (पृदाकवः) कुत्सितशब्दाः। सर्पाः (दर्विम्) अ० ४।१४।७। दॄ विदारणे-विन्। सूपचालनपात्रवद्विदारकं फणम् (करिक्रतम्) दाधर्तिदर्धर्ति०। पा० ७।४।६५। करोतेर्यङ्लुकि शतृ। भृशं कुर्वन्तम् (श्वित्रम्) म० ५। श्वेतम् (दर्भेषु) काशेषु (असितम्) म० ५। कृष्णम् (जहि) नाशय ॥