देवता : पथ्याबृहती ऋषि : आत्मा छन्द : सवित्री, सूर्या स्वर : विवाह प्रकरण सूक्त य ऋतेचिदभिश्रिषः पुरा जत्रुभ्य आतृदः। सन्धाता सन्धिं मघवापुरूवसुर्निष्कर्ता विह्रुतं पुनः ॥ Atharvaveda/14/2/47