देवता : नराशंसः ऋषि : मेधातिथिः काण्वः छन्द : गायत्री स्वर : षड्जः नराशꣳसमिह प्रियमस्मिन्यज्ञ उप ह्वये । मधुजिह्वꣳ हविष्कृतम् ॥१३४९॥ Samveda/1349