देवता : नराशंस: ऋषि : मेधातिथिः काण्वः छन्द : गायत्री स्वर : षड्जः नराशंसमिह प्रियमस्मिन्यज्ञ उपह्वये। मधुजिह्वं हविष्कृतम्॥ Rigveda/1/13/3