नेमिं नमन्ति चक्षसा मेषं विप्रा अभिस्वरे । सुदीतयो वो अद्रुहोऽपि कर्णे तरस्विनः समृक्वभिः ॥९३१॥
सामवेद में उपरिष्टाद्बृहती के 2 संदर्भ मिले
नेमिं नमन्ति चक्षसा मेषं विप्रा अभिस्वरे । सुदीतयो वो अद्रुहोऽपि कर्णे तरस्विनः समृक्वभिः ॥९३१॥
समु रेभासो अस्वरन्निन्द्रꣳ सोमस्य पीतये । स्वः पतिर्यदी वृधे धृतव्रतो ह्योजसा समूतिभिः ॥९३२॥
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