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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
१०-१२-परमेश्वर के गुणों का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (मर्याः) हे मनुष्यो ! (अकेतवे) अज्ञान हटाने के लिये (केतुम्) ज्ञान को और (अपेशसे) निर्धनता मिटाने के लिये (पेशः) सुवर्ण आदि धन को (कृण्वन्) उत्पन्न करता हुआ वह [परमात्मा-मन्त्र १०, ११] (उषद्भिः) प्रकाशमान गुणों के साथ (सम्) अच्छे प्रकार (अजायथाः) प्रकट हुआ है ॥१२॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य प्रयत्न करके परमात्मा को विचारते हुए सृष्टि के पदार्थों से उपकार लेकर ज्ञानी और धनी होवें ॥१२॥
टिप्पणी: १०-१२−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।२६।४-६ ॥