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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (शफेन इव) खुर से जैसे, (ओहते) वह [शत्रु] मारा जाता है ॥७॥
भावार्थभाषाः - सब मनुष्य और स्त्रियाँ सदा उपकार करके क्लेशों से बचें और परस्पर प्रीति से रहें ॥६-११॥
टिप्पणी: ७−(शफेन) खुरेण (इव) यथा (ओहते) उहिर् अर्दने। हन्यते स शत्रुः ॥