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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (शतम्) सौ (भारती) पोषण करनेवाली विद्याएँ (वा) और (शवः) बल हैं ॥४॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य पूर्वज विद्वानों के समान विघ्नों को हटाकर अनेक प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त करें ॥१-॥
टिप्पणी: ४−(शतम्) बहु (वा) चार्थे (भारती) अथ० ।१२।८। डुभृञ् धारणपोषणयोः-अतच्, स्वार्थे अण्, ङीप्, बहुवचनस्यैकवचनम्। भारती वाक्-निघ० १।११। भारत्यः। विद्याः (शवः) शवांसि बलानि ॥