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शयो॑ ह॒त इ॑व ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

शय: । हत: । इव ॥१३१.१६॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:131» पर्यायः:0» मन्त्र:16


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (शयः) साँप [के समान शत्रु] (हतः) मारा हुआ (इव) जैसे है ॥१६॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य उचित रीति से भोजन आदि का उपहार वा दान और कर आदि का ग्रहण करके दृढ़चित्त होकर शत्रुओं का नाश करे ॥१२-१६॥
टिप्पणी: १६−(शयः) शीङ् शयने-अच्। सर्पः। सर्प इव शत्रुः (हतः) नाशितः (इव) यथा ॥