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शक॑ ब॒लिः ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

शक । बलि: ॥१३१.१३॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:131» पर्यायः:0» मन्त्र:13


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (शक) हे समर्थ ! (बलिः) बलि [राजा का ग्राह्य कर आदि का लेना होवे] ॥१३॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य उचित रीति से भोजन आदि का उपहार वा दान और कर आदि का ग्रहण करके दृढ़चित्त होकर शत्रुओं का नाश करे ॥१२-१६॥
टिप्पणी: १३−(शक) शक्लृ सामर्थ्ये-अच्। हे समर्थ (बलिः) म० १२। राजग्राह्यकरः ॥