बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (आ-अमिनोन्) उन [विद्वानों] ने [विघ्न को] सब ओर से हटाया है, (इति) यह (भद्यते) कल्याणकारी है ॥१॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य पूर्वज विद्वानों के समान विघ्नों को हटाकर अनेक प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त करें ॥१-॥
टिप्पणी: १−(आ-अमिनोन्) डुमिञ् प्रक्षेपणे-लङ् छान्दसः। मिनोतिर्वधकर्मा-निघ० २।१९। समन्तात् नाशितवन्तः, ते विद्वांसो विघ्नम् (इति) अवधारणे (भद्यते) भदि कल्याणे सुखे च। कल्याणकरं भवति ॥