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बद्ध॑ वो॒ अघा॒ इति॑ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

बद्ध । व: । अघा: । इति ॥१२९.१६॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:129» पर्यायः:0» मन्त्र:16


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (अघाः) हे पापियो ! (वः) तुह्मारा (बद्ध इति) यह [प्राणी] प्रबन्ध करनेवाला है ॥१६॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य सावधान जितेन्द्रिय होकर पाप से बचने का उपाय करते रहें ॥१, १६॥
टिप्पणी: १६−(बद्ध) विभक्तेर्लुक्। प्रबन्धकः (वः) युष्माकम् (अघाः) अघं पापम्-अर्शआद्यच्। हे पापिनः (इति) ॥