वांछित मन्त्र चुनें

मृ॒ण द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे मृ॒ण मे॑ पृतनाय॒तः। मृ॒ण मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ मृ॒ण मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

मृण। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। मृण। मे। पृतनाऽयतः। मृण। मे। सर्वान्। दुःऽहार्दः। मृण। मे। द्विषतः। मणे ॥२९.४॥

अथर्ववेद » काण्ड:19» सूक्त:29» पर्यायः:0» मन्त्र:4


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (मृण) मार डाल, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (मृण) मार डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (मृण) मार डाल, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (मृण) मार डाल ॥४॥
भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥४॥
टिप्पणी: ४−(मृण) मृण हिंसायाम्। मारय ॥