बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
यजमान के कर्तव्य का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (अपूपवान्) अपूपों [शुद्धपके हुए भोजनों मालपूए पूड़ी आदि]वाला, (अन्नवान्) अन्न [जौ, चावल, गेहूँ, उरद आदि]वाला (चरुः) चरु... [मन्त्र १६] ॥२१॥
भावार्थभाषाः - मन्त्र १६ के समान है॥२१॥
टिप्पणी: २१−(अन्नवान्) अदनीयपदार्थयुक्तः। यवव्रीहिगोधूममाषादियुक्तः। अन्यत्पूर्ववत्-म० १६ ॥