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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
सब कामनाओं की सिद्धि का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (देवाः) व्यवहार जाननेवाले, (पितरः) पालन करनेवाले और (मनुष्याः) मनन करनेवाले लोग (यम्) जिस [वैदिक नियम] के (सर्वदा) सर्वदा (उपजीवन्ति) आश्रय में रहते हैं, (सः अयम्) वही (मणिः) मणि [प्रशंसनीय वैदिक नियम] (मा) मुझको (मूर्धतः) शिर पर से (श्रैष्ठ्याय) प्रधान पद के लिये (अधि) ऊपर (रोहतु) चढ़ावे ॥३२॥
भावार्थभाषाः - सब उत्तम पुरुष परमेश्वर के आश्रय से संसार में उच्चपद प्राप्त करें ॥३२॥
टिप्पणी: ३२−(यम्) वैदिकनियमम् (देवाः) व्यवहारकुशलाः (पितरः) पालकाः (मनुष्याः) अ० ३।४।६। मननशीलाः (उपजीवन्ति) आश्रयन्ति। अन्यत् पूर्ववत्−म० ३१ ॥